हज 2023 के लिए मोदी सरकार की उदासीनता से मुसलमानों में नाराजगी
- हर साल नवम्बर में होती है हज पालिसी की घोषणा
- फरवरी का महीना शुरू हो गया कब होगा हज आवेदन?
केंद्र सरकार द्वारा इस साल 2023 के लिए मुसलमानों की हज यात्रा का कोई भी कार्यक्रम जारी न किये जाने से हज यात्रा के आवेदन के इछुक हज यात्रियों में बेचैनी बढ़ती जा रही है। मालूम हो कि हर साल नवंबर महीने में हज नीति की घोषणा केंद्र सरकार के अल्पसंख्यक मंत्रालय द्वारा कर दी जाती थी जिसके अनुसार हज कमेटी ऑफ इंडिया हज के लिए आवेदन लेना शुरू कर देती थी।
हज आवेदन एक लंबी प्रक्रिया होती है। सऊदी सरकार द्वारा भारत को मिले हज कोटे की संख्या को देश मे राज्यो में मुस्लिम आबादी के अनुपात में एलॉट किया जाता है उसके बाद राज्य अपने जिलों का कोटा निर्धारित करते हैं। किसी ज़िले में कोटा से कम आवेदन आने पर आवेदन की तिथि बढ़ानी पड़ती है तो अधिक आवेदन होने पर क़ुरआ अंदाज़ी (लॉटरी सिस्टम द्वारा हाजियों का चयन) किया जाता है। और ये सारे काम मुसलमानों के पवित्र महीने रमज़ान (जो इस साल 23 मार्च से शुरू होगा) से पहले मुकम्मल हो जाया करते थे। हज यात्रा पर जाने वाले हाजियों के लिए दो ट्रेनिंग कैम्प लगाना जरूरी होता है जिसमें से रमज़ान से पहले एक ट्रेनिंग कैम्प का आयोजन भी हो जाया करता था।
लेकिन इस साल अल्पसंख्यक और हज मंत्रालय का काम देख रही केंद्रीय मंत्री स्मृति ईरानी की उदासीनता से हज कमेटी ऑफ इंडिया के साथ ही हज आवेदन के इछुक लोग काफी चिंतित हैं। और उनकी बेचैनी और मोदी सरकार के प्रति नाराज़गी बढ़ती जा रही है। कुछ लोग इसे मोदी सरकार द्वारा अल्पसंख्यकों को परेशान करने की नीति के तौर पर भी देख रहे हैं। हज कमेटी आफ इंडिया द्वारा दुरभाष पर बताया गया कि जबतक मंत्रालय से दिशानिर्देश नही मिल जाते हैं तब तक हज कमेटी ऑफ इंडिया हज पॉलिसी का प्रकाशन और हज आवेदन की प्रक्रिया के कार्यक्रम की घोषणा नही कर सकती है।
इसी कड़ी में कल IUML के लोकसभा सदस्य ई टी बशीर अहमद के नेतृत्व में एक प्रतिनिधिमंडल ने नई दिल्ली में केंद्रीय अल्पसंख्यक और हज मामलों की मंत्री स्मृति ईरानी से मुलाकात की और इस साल हज के लिए आवेदन स्वीकार करने में हो रही देरी पर गंभीर चिंता व्यक्त की और केंद्र सरकार द्वारा हज 2023 की नीति अब तक प्रकाशित नहीं किये जाने पर नाराजगी जताई।
प्रतिनिधिमंडल ने कहा कि हज प्रक्रियाओं को संभालने वाले अधिकारियों और हज यात्रियों के लिए ये देरी सिरदर्द का कारण बन सकती है। केंद्रीय मंत्री को बताया गया कि हज इस्लाम के पांच स्तंभों में से एक है और मुसलमानों के लिए एक बहुत ही महत्वपूर्ण अनुष्ठान है, जिसके लिए एक मुसलमान सालों से तैयारी करता है और साल भर प्रक्रिया में हिस्सा लेता है। इस महत्वपूर्ण कर्तव्य में देरी मुसलमानों में चिंता पैदा कर रही है। इसलिए इस देरी के कारणों का खुलासा किया जाना चाहिए या जल्द से जल्द प्रक्रिया शुरू की जानी चाहिए।
प्रतिनिधिमंडल में आर एन गनी, अब्दुल वहाब, अब्दुल समद समदानी, मौलाना निसार अहमद नक्शबंदी, खुर्रम अनीस उमर, सैयद नियाज अहमद राजा, आसिफ अंसारी, मौलाना दीन मोहम्मद कासमी, शेख फैसल हसन आदि शामिल रहे।
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