देश के 50वें प्रधान न्यायाधीश बने जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़, प्रधानमंत्री मोदी ने दी बधाई
नई दिल्ली।
सुप्रीम कोर्ट के वरिष्ठतम न्यायाधीश जस्टिस धनंजय यशवंत चंद्रचूड़ भारत के 50वें प्रधान न्यायाधीश बन गए हैं। उन्हें राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मु ने राष्ट्रपति भवन में पद की शपथ दिलाई। जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ 10 नवंबर, 2024 तक इस पद पर रहेंगे। उन्होंने जस्टिस उदय उमेश ललित का स्थान लिया। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने भारत के मुख्य न्यायाधीश के रूप में शपथ लेने पर न्यायमूर्ति डीवाई चंद्रचूड़ को बधाई दी।
जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ ने 1982 में दिल्ली विश्वविद्यालय से कानून की डिग्री हासिल की थी। शुरूआत में उनकी रुचि अर्थशास्त्र यानी इकोनामिक्स में थी, लेकिन कानून का एक लेक्चर उनको इतना पसंद आया कि उन्होंने तय कर लिया कि वे अब कानून की पढ़ाई करेंगे और इसमें ही अपना करियर बनाएंगे। आगे चलकर उन्होंने दिल्ली विश्वविद्यालय से कानून की पढ़ाई की और पोस्ट ग्रेजुएशन करने के लिए हार्वर्ड विश्वविद्यालय चले गए, जहां उन्हें ज्यूरिडकल साइंस में डाक्टरेट की उपाधि मिली।
मालूम हो कि डी वाई चंद्रचूड़ के पिता यशवंत विष्णु चंद्रचूड़ भारत के सबसे लंबे समय (7 वर्ष) तक चीफ जस्टिस रहे। वह 22 फरवरी, 1978 से 11 जुलाई, 1985 तक प्रधान न्यायाधीश थे। इसके पहले, वे सुप्रीम कोर्ट और हाईकोर्ट के जज रहे।
जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ को 39 साल की उम्र में ही सीनियर एडवोकेट का तमगा मिल गया था। आमतौर पर बाम्बे हाईकोर्ट में 40 वर्ष से कम आयु में किसी को यह दर्ज नहीं मिलता। अमेरिका से भारत लौटने पर उन्होंने बाम्बे हाईकोर्ट में वकालत करनी शुरू की। जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ को क्रिकेट काफी पसंद है। उनकी संगीत में भी गहरी रुचि है। जस्टिस चंद्रचूड़ को पुस्तकें पढ़ना भी काफी पसंद है।
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