अक़ीदत से मनाई जा रही ईद मीलादुन्नबी

  • दरूद व सलाम के नज़राने के साथ निकाला गया जुलूस मोहम्मदी
  • रबीउल अव्व्ल के महीने भर चलता रहेगा नअत ख़्वानी और महफिल ए मीलाद का सिलसिला


वाराणसी।

     इस्लाम धर्म के अंतिम पैगम्बर इमामुल अंबिया हज़रत मोहम्मद सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम की विलादत का जश्न पूरी अक़ीदत व एहतेराम के साथ मनाया जा रहा है। शहर के मुस्लिम बाहुल्य क्षेत्रों में बिजली की आकर्षक सजावट की गई है। महफिले मीलाद व नअत ख़्वानी की महफिलें सजाई जा रही हैं। ईद मीलादुन्नबी की पूर्व संध्या पर शानिवार की रात मरकज़ी यौमुन्नबी कमेटी की तरफ से बेनिया बाग के पूर्वी छोर स्थित हड़हा मैदान से जुलूस ईद मीलादुन्नबी निकाला गया जो अपने पारंपरिक रास्तों से होता हुआ भीखा शाह गली स्थित मरकज़ के स्टेज पर पहुंच कर जलसे में परिवर्तित हो गया। जुलूस की क़यादत कमेटी के अध्यक्ष शकील अहमद बबलू, सचिव हाजी महमूद व अन्य पदाधिकारियों ने की।

जुलूस ईद मीलादुन्नबी

    भीखा शाह गली स्थित मरकज़ के स्टेज से जलसे को खिताब करते हुए इज्तेमाई चांद कमेटी के अध्यक्ष मौलाना सूफी ज़किउल्लाह क़ादरी ने कहा कि इस्लाम धर्म के अंतिम पैगम्बर हजरत मुहम्मद सल्लल्लाहो अलैहे वसल्लम सारी दुनिया के लिए रहमत बना कर भेजे गए थे। ऐसे वक्त में जब इंसान लड़कियों की पैदाइश पर शर्मिंदा होता और उन्हें ज़िंदा दफन कर देता था, हज़रत मोहम्मद साहब ने लड़कियों को अल्लाह की रमहत बताया, उनको जिन्दा दफन करने से मना किया। यतीमों, विधवाओं और गुलामों को सम्मानित स्थान दिलाया। सम्पत्ति में लड़कियों को अधिकार दिलाया। दास प्रथा का खात्मा किया। मर्द और औरत दोनों की शिक्षा को फर्ज बताया। मौलाना ने कहा कि शरीयत का क़ानून अल्लाह का बनाया हुआ कानून है, इसे इन्सान या दुनिया की हुकूमतों को बदलने का अधिकार नहीं है, किसी भी हुकूमत को धार्मिक काम में हस्तक्षेप नहीं करना चाहिए। उन्होंने मुसलमानों से अपील की कि वे अपने नबी की सीरत का अमली नमूना पेश करें, नमाज़ की पाबंदी करें और शादी-विवाह, गमी-खुशी के हर मौके पर इस्लामी अहकामात की पाबंदी करें। 

जुलूस मोहम्मदी


     तक़रीर के बाद नअत ख़्वानी का सिलसिला शुरू हुआ जिसमें लगभग पचास अंजुमनों ने नातिया कलाम पेश किया। जिन्हें उनकी रचना और  प्रस्तुति के आधार पर अंक दिया गया है। आज रविवार को मरकज़ के दालमंडी ताज होटल स्थित  स्टेज पर विजेता अंजुमनों की घोषणा की जाएगी और उन्हें पुरस्कृत किया जाएगा।

       दूसरी तरफ आज रविवार की सुबह रेवड़ी तालाब के मैदान से क़ाज़ी ए शहर बनारस मौलाना गुलाम यासीन साहब की क़यादत में जुलूस ए मोहम्मदी निकाला गया जिसमें शहर के अन्य हिस्सों के जुलूस आकर मिलते चले गए। ये जुलूस रेवड़ी तालाब, भेलूपुर, सोनारपुरा, मदनपुरा, गोदौलिया, बांसफाटक, चौक, मैदागिन, कबीरचौरा, बेनिया, नई सड़क, रामापुरा होते हुए रेवड़ी तालाब के मैदान में सलात व सलाम और दुआ के साथ खत्म हुआ। मालूम हो कि जश्न ईद मीलादुन्नबी का ये सिलसिला अरबी महीने रबीउल अव्वल भर चलता रहेगा, जिसमें नअत ख़्वानी, जलसे और महफ़िल मीलाद का आयोजन किया जाता रहेगा।









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