सीरत कांफ्रेंस में उलमा ने दिया पैगम्बर मोहम्मद साहब की तालीमात पर अमल करने का पैगाम

 वाराणसी।


      जमीअत उलमा बनारस के तत्वाधान में होने वाली तीसवीं वार्षिक दो रोजा सीरत कान्फ्रेंस के पहले दिन मौलाना महमूद मदनी साहब, मुफ्ती राशिद आजमी साहब और मुफ्ती अफ्फान मंसूरपुरी साहब ने अपनी तकरीरों में मुसलमानों से पैगंबर मुहम्मद सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम की तालीमात पर अमल करने की अपील की और कहा कि आज समाज में फैली हुई बुराइयां पैगम्बर मोहम्मद साहब की तालीमात को छोड़ने से वजूद में आई है।

      मौलाना महमूद मदनी साहब ने अपनी तकरीर में कहा की ईर्ष्या यानी हसद करने वाले नादानी में अपनी नेकियां दूसरों को दे देते हैं, हमें उनके लिए दुआ करनी है कि उन्हें अपनी नादानी का एहसास हो और वह इस बुराई से तौबा करें। मौलाना मदनी ने यह भी कहा कि रूह की बीमारियों का संबंध दिल से है और दिल की बीमारियों से समाज में बिगाड़ पैदा होता है और दिल की बीमारियों को दूर करने का तरीका अल्लाह के ज़िक्र और नबी के तरीके में ही है । जब समाज बनेगा तभी मिल्लत बनेगी और मिल्लत की तामीर की शुरुआत अपने आप से होनी चाहिए।

सुनिए मौलाना मदनी साहब की पूरी तक़रीर

     मुफ्ती अफ्फान मंसूरपुरी ने अपनी तकरीर में कहा कि आपस में सलाम को आम करो, जब अपने घरों में दाखिल हो तो कोई भी घर में ना हो तब भी सलाम करो इसलिए कि घरों में फरिश्ते भी रहते हैं।  एक दूसरे को सलाम करने से तुम्हारे दिलों में एक दूसरे की मोहब्बत पैदा होगी। आपने फरमाया जिस को जानते हो उसको भी सलाम करो जिसको नहीं जानते हो उसको भी सलाम करो इसलिए कि सिर्फ जान पहचान वालों को सलाम करना क़यामत की निशानियों में से एक निशानी है। मौलाना ने यह भी कहा कि हर काम का दाएं तरफ से शुरू करना सुन्नत है और इसके बेइंतेहा फायदे हैं लेकिन आज हम अपने महबूब नबी की इन सुन्नतों को छोड़ कर खुद अपने लिए परेशानियां पैदा कर रहे हैं।


      मालूम हो कि वाराणसी में जमीअत उलमा बनारस के तत्वाधान में सालाना दो रोजा सीरत कॉन्फ्रेंस का आयोजन होता चला आ रहा है। ये कान्फ्रेंस बनारस के बेनिया बाग के मैदान में लगातार हुआ करती थी लेकिन प्रशासन द्वारा बेनियाबाग को धार्मिक कार्य के लिए बंद करने और उसके बाद पार्क के रूप में विकसित किए जाने के बाद से सीरत कान्फ्रेंस वाराणसी शहर के विभिन्न इलाकों में आयोजित की जाती रही है।  2022 में  तीसवीं कॉन्फ्रेंस का आयोजन लोहता में होना निर्धारित किया गया था, प्रशासन द्वारा परमिशन भी दिया जा चुका था। लेकिन अंतिम समय में क्षेत्र के मुस्लिम समुदाय के ही चंद असामाजिक तत्वों की आपत्ति के बाद जिस तरीके से लोहता पुलिस ने उन मनबढ़ों के मनोबल को बढ़ाते हुए कांफ्रेंस को लोहता में न होने का फरमान सुनाया उससे इन मंबढो द्वारा भविष्य में क्षेत्र की शांति व्यवस्था के लिए कभी भी खतरा उत्पन्न हो सकता है।

      पुलिस प्रशासन द्वारा लोहता में सभा करने से मना करने के बाद आयोजकों ने आनन-फानन में बिलौड़ी स्थित जामिया  इस्लामिया महमूदिया में कान्फ्रेंस करने का निर्णय लिया और आसपास के जिलों से वाराणसी आ चुके सभी मेहमानों को तुरंत मदरसा पहुंचाने का कार्य शुरू किया। कार्यकर्ताओं की  मेहनतों से सीरत कांफ्रेंस अपने निर्धारित समय से मामूली देरी के साथ जमीअत उलमा के ध्वजारोहण के साथ शुरू हो गई। 

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