संस्कृत को राष्ट्रभाषा घोषित करने की मांग सुप्रीम कोर्ट से खारिज
सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट की बेंच ने किये याचिकाकर्ता से तीखे सवाल
- क्या आप संस्कृत बोलते हैं?
- क्या आप संस्कृत में एक लाइन बोल सकते हैं?
- क्या अपनी रिट याचिका की प्रार्थना का संस्कृत में अनुवाद कर सकते हैं?
- भारत में कितने शहरों में संस्कृत बोली जाती है?
सुप्रीम कोर्ट में संस्कृत को राष्ट्रभाषा घोषित करने की मांग को लेकर गुजरात के रिटायर्ड नौकरशाह डीजी वंजारा की तरफ से याचिका दायर की गई थी। याचिका पर सुनवाई करने के बाद कोर्ट ने याचिका को खारिज कर दिया और कहा कि यह एक नीतिगत फैसला है। जिसक लिए संविधान में संशोधन की जरूरत है।
शीर्ष न्यायालय में उन्होंने संस्कृत को राष्ट्रभाषा घोषित कर भाषा के प्रचार की बात की थी। इसपर जस्टिस एम आर शाह और जस्टिस कृष्ण मुरारी की बेंच ने कहा, यह नीति निर्णय के दायरे में आता है। इसके लिए भी संविधान में संशोधन की जरूरत होगी। किसी भाषा को राष्ट्रभाषा घोषित करने के लिए संसद को रिट जारी नहीं किया जा सकता। वंजारा का कहना था कि वह केंद्र की तरफ से इस पर चर्चा चाहते हैं और अदालत की तरफ से एक दखल सरकार के स्तर पर चर्चा शुरू करने में मददगार होगा।
बहस के दौरान बेंच ने याचिकाकर्ता से पूछा : 'भारत के कितने शहरों में संस्कृत बोली जाती है?', 'क्या आप संस्कृत बोलते हैं?', 'क्या आप संस्कृत में एक लाइन बोल सकते हैं या आपकी रिट याचिका की प्रार्थना का संस्कृत में अनुवाद कर सकते हैं?'
जनहित याचिका पर सुनवाई के दौरान कोर्ट ने याचिकाकर्ता से संस्कृत में एक लाइन सुनाने को कहा। इसपर बंजारा ने एक श्लोक सुना दिया, जिसपर बेंच की तरफ से जवाब मिला 'यह हम सभी को पता है।'
कोर्ट ने कहा, 'हम इस बात को मानते और जानते हैं कि हिंदी और राज्यों की कई भाषाओं के शब्द संस्कृत से आए हैं। लेकिन इसके आधार पर किसी भाषा को राष्ट्रभाषा नहीं घोषित किया जा सकता। हमारे लिए भाषा घोषित करना बहुत मुश्किल है।'
याचिकाकर्ता के अनुच्छेद 32 का हवाला देने पर कोर्ट ने कहा अगर आप इस तरह रिप्रेजेंटेशन पेश का विचार रखते हैं, तो आपके पास इसे लेकर सरकार के पास जाने की आजादी हो सकती है।
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