पुण्यतिथि पर याद किये गए भारतरत्न उस्ताद बिस्मिल्लाह खान

 वाराणसी।

   दुनिया के मशहूर शहनाई वादक भारतरत्न उस्ताद बिस्मिल्लाह खां की 16वीं पुण्यतिथि आज वाराणसी के लल्लापुरा स्थित दरगाह फातमान में उस्ताद के मकबरे पर दुआख्वानी कर मनाई गई। राजनीति, व्यापार और संगीत जगत से लेकर प्रशासनिक हस्तियों ने भी काशी के इस महारत्न को श्रद्धांजलि अर्पित की।

        उनके पौत्र नासिर ने बताया कि परिवार में 50 से ज्यादा लोग और अब शहनाई बजाकर सबका भरण-पोषण कर पाना कठिन होता जा रहा है। आजकल न तो पहले की तरह बड़े-बड़े शो मिलते हैं और न ही युवाओं में शहनाई का क्रेज ही बचा है। अब्बास ने कहा, "बस किसी तरह से शहनाई वादन की परंपरा को जिंदा रखा गया है। क्योंकि शहनाई ही काशी और उस्ताद की पहचान है।" 

      वाराणसी के बेनियाबाग स्थित हड़हासराय में उस्ताद का निवास स्थान भी भारी उपेक्षा का शिकार है। पूरी गली कूड़ा-करकट से बजबजाती रहती है। उस्ताद साहब का मकान जर्जर हो गया है और यह टूटकर गिरता जा रहा है। कई विदेशी कलाकार और फैन उनके घर का पता पूछते हुए आते हैं, तो घंटों भटकते हैं। बेनियाबाग स्थित उनके घर तक पहुंचने के लिए कोई साइन बोर्ड तक नहीं लगा है। यदि कोई गूगल या वॉट्सएप लोकेशन से पहुंच भी जाए, तो गलियों की गंदगी देख उल्टा पांव वापस हो जाता है। उन्होंने शासन प्रशासन से उस्ताद की निशानियों को संरक्षण देने की मांग की। 

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