गंगा लाल निशान के पार

     शुक्रवार की रात 11 बजे वाराणसी में गंगा के जलस्तर ने खतरे के निशान को पार कर लिया है। गंगा का जलस्तर शुक्रवार सुबह 8 बजे 70.86 मीटर पर रहा जो रात 11 बजे खतरे के निशान 71.26 मीटर को पार कर गया। 

     अभी गंगा का जलस्तर और बढ़ने का अनुमान लगाया जा रहा है। इसलिए कि चम्बल  बैराज के 23 फाटक खोलने से बाढ़ की स्थिति भयावह भी हो सकती है। बाढ़ अनुमान केंद्र की ओर से जारी किए गए आंकड़े के मुताबिक राजस्थान के धौलपुर से चम्बल नदी में 25 लाख क्यूसेक पानी छोड़े जाने से चम्बल नदी उफान पर है। इसके साथ ही यमुना और गंगा का जलस्तर और बढ़ जाएगा। धौलपुर से छोड़े गये पानी के वाराणसी में 30 अगस्त की दोपहर दो बजे तक पहुंचने का अनुमान है। हालांकि प्रशासन ने इससे निपटने लिए पहले से ही कमर कस ली है।

       नगवा, सामने घाट, मारुति नगर, काशीपुरम, रमना आदि निचले इलाकों में बाढ़ का पानी घुस गया है। लोगों ने परिवार को रिश्तेदारों या शिविरों में भेज दिया है जबकि घर की सुरक्षा की दृष्टिगत लगभग हर घर के एक सदस्य वहीं रुके हुए हैं।

   हुकुलगंज और नईबस्ती इलाकों में 100 से ज्यादा घर बाढ़ से प्रभावित हैं। घरों में पानी घुसने से काफी नुकसान हुआ है।

    गंगा में जल स्तर बढ़ने के बाद रिवर्स फ्लो ने वरुणा नदी में भी ऐसी ही स्थिति पैदा कर दी है क्योंकि इसका पानी इसके किनारे स्थित रिहायशी इलाकों में प्रवेश करना शुरू कर दिया है।

    गुरुवार की रात से ही जिला प्रशासन तटीय इलाक़ों में मुनादी कराकर लोगों को सुरक्षित स्थानों पर जाने को कह रहा है। वाराणसी में बाढ़ से प्रभावित लोगों ने सुरक्षित क्षेत्रों में शरण ले ली है जबकि जो लोग बाढ़ में घिर चुके हैं प्रशासन उन्हें राहत शिविरों में स्थानांतरित कर रहा है। एक  अधिकारी ने बताया कि इन शिविरों में विस्थापित लोगों को भोजन और पीने के पानी के साथ चिकित्सा सुविधाएं मुहैया कराई जा रही हैं।

      ज़िला प्रशासन ने एक बयान में बताया है कि वाराणसी के सांसद और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने जिलाधिकारी कौशल राज शर्मा और आयुक्त दीपक अग्रवाल को फोन कर स्थिति की जानकारी ली है।  प्रधानमंत्री ने अधिकारियों से राहत शिविरों में रह रहे लोगों की हर संभव मदद करने को कहा और जरूरत पड़ने पर सीधे पीएमओ से संपर्क करने का भी निर्देश दिया।

     वाराणसी के आयुक्त दीपक अग्रवाल और जिलाधिकारी कौशल राज शर्मा ने सरैया, ढेलवरिया क्षेत्र में स्थापित बाढ़ राहत शिविरों सहित अन्य बाढ़ राहत शिविरों का निरीक्षण किया और मौके पर मौजूद अधिकारियों को निर्देश दिया कि राहत शिविरों में रह रहे बाढ़ प्रभावित लोगों को किसी भी तरह की परेशानी न हो।

     जिला प्रशासन के अनुसार जिले में कुल 40 बाढ़ राहत शिविर स्थापित किए जाएंगे, जिनमें से 11 पहले से ही चल रहे हैं। गुरुवार को 280 परिवारों के कुल 1290 लोग बाढ़ राहत शिविरों में रह रहे थे, जिनमें से 382 व्यक्ति 12 साल से कम उम्र के हैं और 132 बुजुर्ग हैं। शिविर में रहने वाले लोगों के लिए भोजन और पानी की उचित व्यवस्था करने के साथ ही स्वच्छ बिस्तर, प्रकाश व्यवस्था, शौचालय, चिकित्सा सुरक्षा आदि की भी व्यवस्था की गयी है।

    शिविरों के सफल संचालन के लिए विभिन्न विभागों के अधिकारी व कर्मचारियों को तैनात किया गया है। राहत शिविरों के लिए 40 चिकित्सा दल भी गठित किए गए हैं। साथ ही बाढ़ प्रभावित क्षेत्रों में पशुओं के लिए चारे की व्यवस्था की गई है और राहत शिविरों में पशु चिकित्सा अधिकारियों को भी तैनात किया गया है।







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