बुनकरों की मजदूरी एवं बनारसी वस्त्र की कीमतों में इज़ाफे का एलान
- मज़दूरी बढ़ाना स्वागत योग्य लेकिन कपड़े का दाम बढ़ाने का ये उचित समय नही: राजन बहल
- मांग और सप्लाई के आधार पर तय होती है बनारसी साड़ी की कीमत: हाजी अब्दुर्रहीम
कल रविवार को बुनकर कॉलोनी, नाटी इमली में आयोजित बुनकर पंचायत में कमरतोड़ महंगाई एवं बनारसी वस्त्र में उपयोग होने वाले मैटेरियल की कीमतों में भारी उछाल के मद्देनजर बुनकरों की मजदूरी में 20 प्रतिशत और तैयार बनारसी कपड़ों की कीमतों में 25 प्रतिशत वृद्धि की घोषणा बुनकर बिरादराना तंजीम के एक वर्ग की ओर से की गई।
चौदहों के सरदार मक़बूल हसन के अनुसार गंभीर आर्थिक संकट एवं पलायन को मजबूर बुनकरों के सामूहिक हितों तथा बनारसी उद्योग के संरक्षण हेतु बुनकरों की मजदूरी एवं तैयार माल के दामों में वृद्धि करना ज़रूरी हो गया था।
तंजीम बाईसी के सरदार इकरामुद्दीन की अध्यक्षता में चौदहों के सरदार हाजी मकबूल हसन और पांचों के सरदार हाजी अली अहमद व हाजी ज़ियाउल हसन के संयुक्त तत्वाधान में आयोजित इस बुनकर पंचायत में की गई घोषणाओं का पंचायत में उपस्थित बुनकरों ने हाथ उठा कर समर्थन किया। क़ुरआन की तिलावत से शुरू कार्यक्रम का संचालन इशरत उस्मानी तथा धन्यवाद ज्ञापन अब्दुल्लाह अंसारी ने किया।बुनकर पंचायत के इस फैसले पर प्रतिक्रिया देते हुए बनारसी वस्त्रोद्योग संघ के महासचिव राजन बहल ने कहा कि फाकाकशी को मजबूर हो रहे बुनकरों की मजदूरी बढ़ाने का हम स्वागत व समर्थन करते हैं लेकिन ऐसे समय मे जबकि कोरोना काल के बाद साड़ियों की कुछ मांग निकली है, तैयार कपड़ों के दाम में 25 प्रतिशत वृद्धि का ये सही समय नही है। अगर बनारस का व्यापारी मूल्यवृद्धि की मांग पर अड़ा रहेगा तो खरीदार सूरत और बैंगलोर का रुख कर लेंगे। इस समय गृहस्ता और गद्दीदारों को अपने लाभ का प्रतिशत समायोजित करके बुनकरों को अधिकतम लाभ पहुंचाना चाहिए।
वहीं बनारस साड़ी डीलर्स एसोसिएशन के कोषाध्यक्ष हाजी अब्दुर्रहीम ने कहा कि बनारसी साड़ियों की कीमत का निर्धारण मांग और आपूर्ति के आधार पर होता है और इस समय कम मांग को देखते हुए तैयार साड़ियों के दाम में वृद्धि का निर्णय उचित नही है। उन्होंने मज़दूरी में एकमुश्त 20 प्रतिशत की वृद्धि को भी अतार्किक बताया।
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