नम आँखों के साथ सुपुर्द ए खाक किये गए सरदार अबुल कलाम
- सरदार कलाम के आकस्मिक निधन से बुनकरों में शोक
- सरदार गुलाम मोहम्मद बने कार्यवाहक सरदार
- हज़ारों ने की नमाज़ जनाज़ा और तदफीन में शिरकत
वाराणसी।
बुनकर बेरादराना तंज़ीम बाईसी के सरदार हाजी अबुल कलाम का लगभग 60 वर्ष की उम्र में कल शुक्रवार को चार बजे सर सुंदरलाल अस्पताल बी.एच.यू. में निधन हो गया। उनके पुत्र हाजी स्वालेह ने बताया कि अलसुबह सीने में दर्द की शिकायत पर उन्हें अस्पताल के इमरजेंसी में भर्ती किया गया था जहां दोपहर में आराम होने पर वार्ड में शिफ्ट कर दिया गया था। दुबारा तकलीफ होने पर दोपहर बाद इमरजेंसी में ले जाये गए लेकिन उनको बचाया न जा सका।
सरदार निज़ामुद्दीन के इंतेक़ाल के बाद 7 अप्रैल 2017 को आप बाईसी के सरदार चुने गए थे। आपके इंतेक़ाल के बाद तंज़ीम बाईसी की आपात बैठक में सरदार गुलाम मोहम्मद उर्फ दारोगा साहब को कार्यवाहक सरदार चुना गया।
चार साल के छोटे से कार्यकाल में ही अपने मिलनसार स्वभाव के कारण सरदार कलाम समाज में लोकप्रिय हो गए थे। आपके प्रयासों से बुनकर समाज में शिक्षा के प्रति जागरूकता पैदा हुई। बुनकरों की समस्याओं के निराकरण के लिए भी आपने सक्रिय भूमिका निभाई।
हज़ारों लोगों की मौजूदगी में आपके जनाज़ा की नमाज़ आज शनिवार दस बजे दिन में ख्वाजापूरा के मैदान में आपके पुत्र हाजी मोहम्मद स्वालेह ने पढ़ाई जिसके बाद लद्धनपुरा स्थित पुश्तैनी क़ब्रिस्तान में सुपुर्द ए खाक किये गए।
मदरसा मतलउल उलूम, सिटी गर्ल्स स्कूल सहित कई शिक्षण और सामाजिक संस्थाओं में विभिन्न पदों पर आसीन सरदार कलाम के निधन को तंज़ीम के लिए अपूर्णीय क्षति बताते हुए बुनकर तंज़ीम बावनी पंचायत के अध्यक्ष हाजी मुख्तार महतो ने कहा कि वह सकारात्मक सोच और स्पष्ट नज़रिया रखने वाले बुनकरों के हमदर्द थे। जमीअत उलेमा ज़िला बनारस, बनारस साड़ी डीलर्स एसोसिएशन, जमीअतुल अंसार, सुल्तान क्लब, आज़ाद हिंद रिलीफ सोसाइटी सहित अनेक संस्थाओं ने भी सरदार कलाम के आकस्मिक निधन पर शोक व्यक्त किया है।
अपूर्णीय क्षति
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