नबी के तरीके पर अमल किये बगैर कामयाबी मुश्किल

 

वाराणसी।

    जमीअत उलमा बनारस के तत्वावधान में आयोजित दो रोज़ा सालाना सीरत कांफ्रेंस के दूसरे दिन जामिया इस्लामिया महमूदिया बिलौड़ी में उलमा ए केराम को सुनने के लिए जन सैलाब उमड़ा। दूसरे दिन दारुल उलूम देवबंद के कुलपति मुफ्ती अबुल कासिम साहब नोमानी की सदारती तकरीर के अलावा मौलाना सलमान साहब बिजनौरी, मुफ्ती हुजैफा साहब कासमी, मौलाना तौसीफ अहमद साहब कासमी और मुफ्ती अब्दुल बातिन साहब नोमानी ने भी कान्फ्रेंस को संबोधित किया।

    अपनी सदारती  तकरीर में मुफ्ती अबुल कासिम साहब नोमानी ने कहा कि सिर्फ यह कह देना कि कान्फ्रेंस बहुत कामयाब रही, बहुत सारे लोग शामिल हुए,  यह जाहिरी कामयाबी है। कांफ्रेंस का असल मकसद तब हासिल होगा जब हम उलमा की बताई  बातों पर अमल पैरा होंगे। 

   मुफ्ती साहब ने कहा कि असल बुनियादी दीनी तालीम से महरूमी की वजह से आज नौजवान नस्ल दीन से बेजार हो रही है इसलिए कि इस्लाम के खिलाफ सोशल मीडिया के जरिए फैलाए जा रहे दुष्प्रचार से वह शक शुब्हा में मुब्तला हो गए हैं। उन्होंने कहा कि इस्लाम किसी भी तालीम के खिलाफ नही है। तालीम बहुत ज़रूरी है लेकिन बुनियादी दीनी तालीम को छोड़ कर जदीद तालीम दिलाना दीन से हाथ धोने का कारण बन रहा है। आपने ये भी कहा कि इंटरनेट और  मल्टीमीडिया मोबाइल नवजवानों को गुनाह और गुमराही में मुब्तला कर रहा है जिससे समाज में जो बिगाड़ पैदा हो रहा है उसकी खबरें आप लोग रोज सुनते और पढ़ते रहते हैं।

मुफ्ती अबुल कासिम नोमानी साहब की मुकम्मल तकरीर सुनने के लिए यहां क्लिक करें

     आपने नबी सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम का इरशाद सुनाया कि तुम में से हर शख्स जिम्मेदार है और हर शख्स से उसके मातहतों के बारे में सवाल किया जाएगा। आपने कहा कि आज मुस्लिम बच्चियां कॉलेज के नाम पर घर से निकलती हैं और अजनबी लोगों के साथ घूम रही हैं और पूरी जिंदगी के लिए गुमराही के रास्ते को अपना रही हैं, इसकी जिम्मेदारी भी वालदैन पर आती है। आपने यह भी फरमाया की औलाद जितनी भी बड़ी हो जाए वालदैन की जिम्मेदारियां खत्म नहीं होती।  वालदैन को उनकी निगरानी करती रहनी चाहिए।

   उन्होंने कहा कि कल और आज दोनों दिन कान्फ्रेंस के मुकर्रिरीन ने  जो बातें बताई हैं उन पर अमल करना शुरू कर दिया जाए तो इन शा अल्लाह समाज में बदलाव देखने को मिलेगा।

मौलाना बिजनौरी साहब का मुकम्मल बयान सुनने के लिए क्लिक करें

     मुफ्ती सलमान साहब बिजनौरी ने अपनी तकरीर में कहा कि हमें सिर्फ नमाज में सुन्नत का एहतेमाम नहीं करना है बल्कि अपने हर काम को सुन्नत के मुताबिक करना है। इसके लिए हमें अलग से कोई मेहनत नहीं करनी है बल्कि हमें काम तो करना ही है बस नबी का तरीका जान कर उस तरीके पर किया जाए तो हमें कामयाबी भी मिलेगी और नेकी और सवाब भी मिलेगा। 

मुफ्ती हुजैफा साहब कासमी की जबरदस्त तकरीर सुनने के लिए यहां क्लिक करें

    मुफ्ती हुजैफा साहब कासमी ने पैगंबर मोहम्मद साहब की जिंदगी के विभिन्न पहलुओं पर तफसील से रोशनी डाली, खास कर हज़रत आयशा से निकाह के मसले पर तफसील से बयान करते हुए कहा कि पहले कभी कभार कोई नबी की शान में गुस्ताखी कर देता था लेकिन आज तो नबी की शान में गुस्ताखी करने वालों की बाढ़ आ गई है और इसके पीछे इस्लाम दुश्मन ताकतों की साजिश और करोड़ों की फंडिंग शामिल है।



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