कर्नाटक हिजाब विवाद: हिजाब के पक्ष में जोरदार दलीलों से बेंच लाजवाब

   कर्नाटक में स्कूलों में हिजाब को प्रतिबंधित किए जाने पर सुप्रीम कोर्ट में हो रही सुनवाई में आज पांचवे दिन जस्टिस हेमंत गुप्ता और जस्टिस सुधांशु धूलिया की बेंच के सामने कर्नाटक हाईकोर्ट के फैसले के खिलाफ सीनियर एडवोकेट हुजैफा अहमदी, राजीव धवन और आदित्य सोंधी ने जोरदार बहस की जिससे कई मौकों पर बेंच लाजवाब हो गई।

     हुजैफा अहमदी ने कहा अगर मान लिया जाए कि हिजाब धार्मिक प्रथा नहीं है तो भी ये संविधान के अनुच्छेद 29(1)  के तहत संरक्षित एक सांस्कृतिक प्रथा होगी। उन्होंने कर्नाटक सरकार के शासनदेश की भाषा पर भी कड़ी आपत्ति जताई।

     सीनियर एडवोकेट आदित्य सोंधी ने कहा कि कर्नाटक हाई कोर्ट का विवादित निर्णय मुस्लिम छात्राओं को धर्म की स्वतंत्रता और शिक्षा के अधिकार के बीच चयन को मजबूर करता है, जो कि अप्रत्यक्ष भेदभाव का मामला है। इसलिए कि कोई भी राज्य किसी नागरिक से दो मौलिक अधिकारों के बीच चयन के लिए नहीं कह सकता।

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     सीनियर एडवोकेट राजीव धवन ने कर्नाटक हाई कोर्ट के इस निष्कर्ष पर सख्त एतराज जताया जो कोर्ट ने कहा था कि 'क़ुरआन हिजाब नहीं पहनने पर कोई सजा नहीं निर्धारित करता है इसलिए हिजाब अनिवार्य नहीं है' को हैरान करने वाला बताया। उन्होंने कहा कि कोर्ट ने इस तथ्य को नजरअंदाज कर दिया कि लाखों महिलाएं हिजाब पहनती हैं।

      उन्होंने यह भी कहा कि जब सार्वजनिक स्थानों पर हिजाब की अनुमति है तो किस आधार पर क्लास रूम में हिजाब नहीं पहना जा सकता? और अगर यह मान लिया जाए कि आप बुर्का की अनुमति नहीं दे सकते तो यह उचित हो सकता है कि चेहरा दिखना चाहिए लेकिन हेडस्कार्फ़ पर क्यों आपत्ति हो सकती है?

      एडवोकेट राजीव धवन ने केरल उच्च न्यायालय के एक फैसले का हवाला देते हुए कहा कि हिजाब फर्ज है। जस्टिस हेमंत गुप्ता ने पूछा किस आधार पर फ़र्ज़ है?,  धवन ने जवाब दिया केरल उच्च न्यायालय ने हिजाब को एक आवश्यक अभ्यास माना इसलिए कि कुरान और हदीस को संदर्भित करने के बाद यह निष्कर्ष निकलता है कि सिर को ढकना और चेहरे के हिस्से को छोड़कर लंबी बाजू की पोशाक पहनना एक फर्ज है। उन्होंने कहा कि हम अदालतों से मौलवी होने की उम्मीद नहीं करते लेकिन कुरान और हदीस के पाठ की व्याख्या करने के बाद उत्तर यही आता है कि हिजाब फर्ज है।

     धवन ने कहा कि पूरे भारत में, दुनिया भर में हिजाब को वैध माना जाता है। कर्नाटक सरकार द्वारा दिया गया एकमात्र औचित्य यह है कि स्कूल "योग्य सार्वजनिक स्थान" हैं। यह अपने आप में कोई औचित्य नहीं है।

     उन्होंने कहा कि केंद्रीय विद्यालय हिजाब की अनुमति देते हैं। इस बात का कोई औचित्य नहीं दिया गया है कि उन्हें पूरे बोर्ड में एकरूपता क्यों होनी चाहिए। 

      धवन ने अंत में केन्या के उच्च न्यायालय द्वारा मोहम्मद फुगिचा बनाम मेथोडिस्ट चर्च के एक फैसले का हवाला दिया जिसने हिजाब को खत्म करने के केन्याई सरकार के प्रयास को खत्म कर दिया। उन्होंने कहा कि अंग्रेजी अदालतें विशेष रूप से स्कार्फ की अनुमति देती हैं।

     मालूम हो कि कर्नाटक उच्च न्यायालय द्वारा कर्नाटक की बीजेपी सरकार द्वारा स्कूलों में हिजाब के प्रतिबंध को सही ठहराए जाने के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट की दो जजों की बेंच में सुनवाई हो रही है जिसमें कर्नाटक उच्च न्यायालय के कई विवादित टिप्पणियों पर वकीलों के द्वारा पुरजोर विरोध दर्ज कराया गया है।


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